मन क्यों भीगने से डरता है?
एक लम्हे से ज़्यादा क्या है जो भीग सकता है?
एक मन है जो प्यासा है,
शायद लम्हो का गुलाम नही है
जानता है कि लम्हा कैद किया जा सकता है
पर ये बात वो अभी से उस लम्हे को बताकर डराना नही चाहता
इसलिये वो लम्हे को भीगते हुए देखता है
उसे पता है कि भीगने के बाद ये लम्हा शिथिल हो जायेगा
शायद आसानी से काबू में किया जा सके
लेकिन भीगने के बाद जब वो गीला लम्हा ठिठुरता है
तो मन की चादर में ही उसे गर्माहट मिलती है
तब वो लम्हा नही होता
यादों की सदी में बारिश की एक बूंद बनकरसिमट जाता है
और जब भी मन भीगने को तडपता है
तो वो लम्हा जो कभी गीला था
मन के होंठो पे एक हल्की सी मुस्कान एक हल्की सी गर्मी लाता है
एक लम्हे से ज़्यादा क्या है जो भीग सकता है?
एक मन है जो प्यासा है,
शायद लम्हो का गुलाम नही है
जानता है कि लम्हा कैद किया जा सकता है
पर ये बात वो अभी से उस लम्हे को बताकर डराना नही चाहता
इसलिये वो लम्हे को भीगते हुए देखता है
उसे पता है कि भीगने के बाद ये लम्हा शिथिल हो जायेगा
शायद आसानी से काबू में किया जा सके
लेकिन भीगने के बाद जब वो गीला लम्हा ठिठुरता है
तो मन की चादर में ही उसे गर्माहट मिलती है
तब वो लम्हा नही होता
यादों की सदी में बारिश की एक बूंद बनकरसिमट जाता है
और जब भी मन भीगने को तडपता है
तो वो लम्हा जो कभी गीला था
मन के होंठो पे एक हल्की सी मुस्कान एक हल्की सी गर्मी लाता है
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